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पीएमएफबीवाई का शुभारंभ खरीफ के मौसम से २०१६ में किया गया था और इसने भारत में मॉडिफाइड नेशनल एग्रीकल्चर इंश्योरेंस स्कीम्स की जगह ली.
इस योजना का आरंभ एक देश एक फसल एक प्रीमियम का ध्येय लेकर किया गया. इस नई योजना का लक्ष्य है फसल कटाई के प्रयोगों के माध्यम से स्थानीय सरकारी प्राधिकरणों द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार फसल की उपज में कमी के कारण किसानों द्वारा भुगते गए नुकसान को कवर करना.
यह योजना भारत में चक्रवाती बरसात के कारण बोआई पूर्व हुई हानियों, कटाई पश्चात हुई हानियों तथा बेमौसम बरसात के कारण हुई हानियों को भी कवर (बीमित) करती है. इसमें पहले सुरक्षित की गई ओलावृष्टि और भूस्खलन के जोखिमों के अलावा स्थानीय स्तर पर आई बाढ़ जैसी आपदाओं के कारण हुए नुकसानों को सुरक्षित करने का प्रावधान भी है.
यह योजना ग्रामीण बाजार में फसल बीमा की पहुंच को बढ़ाने कालक्ष्य रखती है और कुल बोआई के क्षेत्रफल का ५०% बीमित करती है.
किसान द्वारा देय बीमा शुल्क की दर नीचे दी गई तालिका के अनुसार होगी.
एसआई या एक्चुअरियल (बीमांकिक) दर,
जो भी कम हो
एसआई या एक्चुअरियल (बीमांकिक) दर,
जो भी कम हो
एसआई या एक्चुअरियल (बीमांकिक) दर,
जो भी कम हो
मुख्य खूबियां
यह नई योजना कई नई बातों को लेकर आई है जैसेकि नवोन्मेषकारी टेक्नोलॉजी जैसे सैटेलाइट इमेजरी, वेजिटेशन इंडाइसेस (वानस्पतिक सूचकांक) इत्यादि के साथ ही साथ स्मार्ट फोन्स/हैंडहेल्ड डिवाइस का अनिवार्य रूप से उपयोग करना ताकि उपज के पूर्वानुमान की रफ्तार और सटीकता बढ़े. कवरेज में क्षेत्रफल के बारे में होनेवाले भेदों को कम करने के लिए यह योजना भूमि के रेकॉर्ड्स का डिजिटाइजेशन करने को भी बढ़ावा देती है.
अधिक जानकारी के लिए आप प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लिए भारत सरकार की वेबसाइट www.pmfby.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.
अप्रत्याशित घटनाओं के चलते होनवाले फसल के नुकसान/ क्षति से ग्रस्त किसानों को आर्थिक आधार देना.
कृषि क्षेत्र को क्रेडिट का प्रवाह सुनिश्चित करना; जो उपज के जोखिमों से किसानों की रक्षा करने के अलावा खाद्य सुरक्षा, फसल वैविध्यीकरण और कृषि क्षेत्र की वृद्धि और स्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योगदान देगा.
किसानों की आय को स्थिर करना ताकि उनका खेती जारी रखना सुनिश्चित हो.
किसानों को नवोन्मेषकारी और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना.
योग्यता मापदंड
यह योजना सभी किसानों के लिए वैकल्पिक है जिसमें ऐसे किसान भी शामिल है जिन्हें वित्तीय संस्थानों (एफआई) से अधिसूचित फसलों के लिए अल्प कालिक मौसम आधारित कृषि प्रचालन (एसएओ) कर्ज/किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की मंजूरी दी गई है (आगे से कर्जदार किसान कहा गया है). मौजूदा कर्जदार किसानों के पास साल भर में कभी भी लेकिन संबंधित मौसमों के लिए नामांकन के कट ऑफ (अंतिम) दिनांक से कम से कम ७ दिन पहले कर्ज मंजूर करनेवाली बैंक शाखाओं के पास आवश्यक घोषणा जमा करते हुए योजना से बाहर रहने का विकल्प है. जो किसान घोषणा जमा नहीं करते हैं वे सभी आवश्यक रूप से कवर किए जाएंगे.
बोआई/ रोपाई न कर पाने का जोखिम बीमित क्षेत्र कम बारिश या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बोआई/ रोपाई से बीमित क्षेत्र दूर रहता है.
बचाव नहीं किए जा सकने योग्य जोखिमों जैसे सूखा, बारिश न होना, बाढ़, जल प्लवन, कीट और रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली गिरना, तूफान, ओला वृष्टि, चक्रवात, बवंडर, आंधी, झंझावात और टॉर्नेडो के कारण होनवाली उपज की हानियों के लिए व्यापक रिस्क इंश्योरेंस प्रदान किया गया है.
उन फसलों की कटाई से दो सप्ताह की अधिकतम अवधि तक चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बरसातों के विशिष्ट जोखिमों के प्रति केवल कवरेज उपलब्ध है जिन्हें कटाई करने के बाद खेत में काट कर फैलाकर सूखने के लिए रखा गया है.
अधिसूचित क्षेत्र में अलग थलग खेतों को प्रभावित करनेवाली ओला वृष्टि, भूस्खलन और जल प्लवन के चिन्हितस्थानीय जोखिमों के कारण होनेवाली हानि/ नुकसान.
*सामान्य अपवर्जन - युद्ध और आणविक जोखिमों, दुर्भावनापूर्ण नुकसान और अन्य टालने योग्य जोखिमों के चलते होने वाले नुकसानों को अपवर्जित किया गया है.
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लिए भारत सरकार की वेबसाइट पर विजिट करने के लिए यहां क्लिक करें.
बेवसाइट देखनाप्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लिए भारत सरकार की वेबसाइट पर विजिट करने के लिए यहां क्लिक करें
यहां क्लिक करें कर्नाटक के लिए
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) किसानों को मौसम की विपरीत परिस्थितियों के कारण होने वाले नुकसानों के लिए किसानों को सुरक्षा प्रदान करती है.
उपज के नुकसानों में शामिल है प्राकृतिक आग और बिजली गिरना; तूफान, ओला वृष्टि, चक्रवात, बवंडर, आंधी, झंझावात और टॉर्नेडो इत्यादि; बाढ़, जल प्लवन और भूस्खलन; सूखा, बारिश का अभाव; कीट/रोग इत्यादि.
बोआई न हो पाना ऐसे मामलों में जहां अधिसूचित क्षेत्र के अधिकांश बीमित किसान बोआई/ रोपाई करने के इच्छुक हैं और इस प्रयोजन के लिए खर्च कर चुके हैं, वे लोग यदि विपरीत मौसम की स्थितियों के कारण बोआई/ रोपाई नहीं कर पाते हैं तो वे अधिकतम २५% तक दावों की क्षतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे.
कटाई पश्चात नुकसानों का कवरेज: उन फसलों की कटाई से १४ दिन की अधिकतम अवधि तक चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बरसातों के विशिष्ट जोखिमों के प्रति केवल कवरेज उपलब्ध है जिन्हें कटाई करने के बाद खेत में काट कर फैलाकर सूखने के लिए रखा गया है.
स्थानीय आपदाएँ अधिसूचित क्षेत्र में अलग थलग खेतों को प्रभावित करनेवाली ओला वृष्टि, भूस्खलन और जल प्लवन के चिन्हित स्थानीय जोखिमों के कारण होनेवाली हानि/ नुकसान.
यह योजना सभी किसानों के लिए वैकल्पिक है जिसमें ऐसे किसान भी शामिल है जिन्हें वित्तीय संस्थानों (एफआई) से अधिसूचित फसलों के लिए अल्प कालिक मौसम आधारित कृषि प्रचालन (एसएओ) कर्ज/किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की मंजूरी दी गई है (आगे से कर्जदार किसान कहा गया है). मौजूदा कर्जदार किसानों के पास साल भर में कभी भी लेकिन संबंधित मौसमों के लिए नामांकन के कट ऑफ (अंतिम) दिनांक से कम से कम ७ दिन पहले कर्ज मंजूर करनेवाली बैंक शाखाओं के पास आवश्यक घोषणा जमा करते हुए योजना से बाहर रहने का विकल्प है. जो किसान घोषणा जमा नहीं करते हैं वे सभी आवश्यक रूप से कवर किए जाएंगे.
अनु. क्र. | मौसम | फसलें | किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा शुल्क (बीमा राशि का %) |
---|---|---|---|
1 | खरीफ | सभी खाद्यान्न और तिलहन की फसलें (सभी अनाज, बाजरा, दालें और तिलहन की फसलें) | सभी खाद्यान्न और तिलहन की फसलें (सभी अनाज, बाजरा, दालें और तिलहन की फसलें) |
2 | रबी | सभी खाद्यान्न और तिलहन की फसलें (सभी अनाज, बाजरा, दालें और तिलहन की फसलें) | एसआई का १.५% या एक्चुअरियल दर, जो भी कम हो. |
3 | खरीफ और रबी | वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी फसलें | एसआई का ५% या एक्चुअरियल दर, जो भी कम हो. |
नए प्रचालनगत दिशानिर्देशों के अनुसार, कर्जदार और गैर कर्जदार दोनों ही किसानों के खाते से प्रीमियम डेबिट करने का कट ऑफ दिनांक खरीफ के लिए १५ जुलाई और रबी के लिए-१५ दिसंबर होगा.
यदि बीमित मौसम में बीमा यूनिट (सीसीई की आवश्यक संख्या के आधार पर गणना) के लिए बीमित फसल की प्रति हेक्टेयर `वास्तविक उपज' (एवाई) निर्धारित `थ्रेशोल्ड यील्ड' (टीवाई) से कम होती है तो निर्दिष्ट क्षेत्र में वह फसल उगानेवाले सभी बीमित किसानों को उसी व्यापकता से उपज में नुकसान हुआ है ऐसा मान लिया जाएगा. पीएमएफबीवाई ऐसी आपात्कालीन स्थितियों के प्रति कवरेज देता है. `दावे' की गणना निम्नलिखित फॉर्मूले के अनुसार आईयू लेवल पर की जाएगी: (थ्रेशोल्ड यील्ड- वास्तविक उपज) थ्रेशोल्ड उपज*बीमा राशि जहां किसी अधिसूचित बीमा इकाई में फसल के लिए थ्रेशोल्ड यील्ड (टीवाई) उस फसल के लिए लागू मुआवजे द्वारा उस मौसम के पिछले सात वर्षों में से श्रेष्ठ ५ वर्षों की औसत उपज है.
हमारे पास समर्पित पीएमएफबीवाई टोल फ्री नंबर – 1800 266 4141
युद्ध और आणविक जोखिमों, दुर्भावनापूर्ण नुकसान और अन्य रोकथाम योग्य जोखिमों के चलते उपजनेवाली हानियों को अपवर्जित किया जाएगा.
टोल फ्री नं. १८००२६६४१४१